गजब की ❥ दीदार ❥ शायरी | दिल को छू जाने वाली 30+ दीदार ❥ शायरियां | Lajawab deedar shayari

Deedar shayari नमस्कार दोस्तो,आज आपके लिए हम बेहतरीन दीदार शायरी लेकर आए है कभी कभी प्यार में और कई रिश्तों में ऐसे मोड़ आ जाते है कि दूरियां अधिक बढ़ जाती है तो अपने महबूब के दीदार के लिए मन मचलने लगता है.

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और आप इन भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते है आप आपने चाहने वाले को हरदम याद करते हो और आप उसे भी यह बताना चाहते हो लेकिन अब बता आती है कि आप किस तरह से उसे समझा सको की आपको अपने प्रियतम का दीदार करना है.

तो हम भी आपके दिल के इन्हीं दुआओं को हमारे शायरी सुकून के मंच पर लाना चाहते हैं.हमारी कुछ कमाल की चुनिंदा दीदार शायरी जिनकी मदद से आप अपने प्रियतम को बता पाएंगे की उसकी एक झलक को आप तरस रहे है.

ख़ास शायराना अंदाज सिर्फ हमारे पास

साँस रूक जाये भले ही तेरा इन्तज़ार करते-करते,

तेरे दीदार की आरज़ू हरगिज कम ना होगी.

आफ़रीं तुझ को हसरत-ए-दीदार,
चश्म-ए-तर से ज़बाँ का काम लिया.

जिस दिन सपनो में उनका दीदार हो जाता है,

उस रात सोना दुश्वार हो जाता है,
मरता हे कोई हम पर भी,
ये सोच कर अपने आप से प्यार हो जाता है.

अब और देर न कर हश्र बरपा करने में,
मेरी नज़र तेरे दीदार को तरसती है.

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घूंघट की आड़ से दिलबर का दीदार अधूरा रहता है,

जब तक ना पड़े आशिक की नजर,
शृंगार अधूरा रहता है.

खामोशियाँ तेरी मुझसे बातें करती है,
मेरी हर आह मेरा हर दर्द समझती हैं,
जानता हूँ मजबूर है तू भी और मैं भी,
फिर भी नजरें तेरे दीदार को तरसती हैं.

तलब ऐसी की बसा लें अपनी सांसों में तुझे हम,

और किस्मत ऐसी कि तेरे दीदार के भी मोहताज़ हैं हम.

हम तड़प गये आपके दीदार को,
दिल फिर भी आपके लिए दुआ करता है,
हमसे अच्छा तो आपके घर का आईना है,
जो हर रोज़ आपका दीदार तो करता है.

दिल बेचैन है साँसे थम सी गयी है,
बिन दीदार तेरे शायरी भी जम सी गयी है.

रात को आंखें बंद कर लेता हूं
तो दीदार तेरा हो जाता है,
लुत्फ़ उठा रहा होता हूं मैं
कमबख्त ये सूरज उग जाता है.

कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा,
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया.

अर्ज किया है-
मेरा दिल तुमसे प्यार चाहता है
अपनी मोहब्बत का इज़हार चाहता है,
देखा है जबसे तुम्हारे इस चेहरे को
मेरा दिल सिर्फ तेरा ही दीदार चाहता है.

– By हिमांशु पटेल

कर सितम जितने भी मगर,
इस दिल में धड़कन तेरे नाम की होगी,
अधूरी ख्वाहिश तो बहुत सी है मगर,
आखिरी ख्वाहिश तेरे दीदार की होगी.

दीदार की तलब हो तो नज़रे जमाये रख,
क्यूँकि नक़ाब हो या नसीब सरकता जरुर है.

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ये मेरा इश्क है कोई मजबूरी नही,
वो मुझे चाहे या मिल जाये ये जरूरी नही,
ये क्या कम है मेरी नजरो में बसी है,
अब मेरी आँखों के सामने हो ये जरूरी तो नही.

अब सुलगती है हथेली तो ख़याल आता है,
वो बदन सिर्फ़ निहारा भी तो जा सकता था.

तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की,
ना जाने देखते-देखते कब तुम लत बन गये.

कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नही देखा,
निगाहे तो देखी पर दिल में उतर के नही देखा,
लोग समझते है में पत्थर हूँ,
अरे हम तो माँ है किसी ने आज तक छू के नही देखा.

एतबार कर दीदार में एहतियात नहीं होता,
बेहिसाब जज़्बा है इसमें हिसाब नहीं होता.

आइना कब बनाओगे मुझ को,
मुझ से किस दिन मिलाओगे मुझ को.

हमने अपनी निगाहों में छिपाया है तुझे,
हमने अपनी सांसो में छिपाया है तुझे,
ये जमाना ढूँढ़ते ढूँढ़ते हो जायेगा पागल,
दिल के ऐसे कोने में छुपाया है तुझे.

चमन में इस कदर तू आम करदे अपने जलवों को,
कि आँखें जिस तरफ उठें तेरा दीदार हो जाये.

मैं कैसे मान लूँ कि इश्क़ बस इक बार होता है,
तुझे जितनी दफ़ा देखूँ मुझे हर बार होता है.

तुझे पाने की हसरत और डर ना-कामियाबी का,
इन्हीं दो-तीन बातों से ये दिल दो-चार होता है.

तेरा चेहरा रात का तारा लगता है,
ये तारा कितना प्यारा लगता है,
तुझसे मिल कर इमली भी मीठी लगती है,
और तुझसे बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है.

आज दिल ने तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है,
मिले अगर फुरसत तो ख्वाबों मे आ जाना.

शाम भी खास है वक्त भी खास है,
इसका तुझे भी एहसास है मुझे भी एहसास है,
और उस रब से क्या चाहिये,
जब मैं तेरे साथ हूँ और तू मेरे साथ है.

क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार,
फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी.

चादर की इज्जत करता हूं और पर्दे को मानता हूं,
हर पर्दा, पर्दा नहीं होता इतना मैं भी जानता हूं.

दिल ये मेरा तुमसे प्यार करना चाहता हैं
अपनी मोहब्बत का इज़हार करना चाहता है,
देखा हैं जब से तुम्हे मेने मेरे ए-सनम
सिर्फ तुम्हारा ही दीदार करने को दिल चाहता हैं.

तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की,
ना जाने देखते-देखते कब तुम लत बन गये.

हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं,
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं.

मिलावट है तेरे इश्क में,
इत्र और शराब की,
कभी हम महक जाते है,
कभी हम बहक जाते हैं.

एतबार कर दीदार में एहतियात नहीं होता,
ये बेहिसाब जज़्बा है इसमें हिसाब नहीं होता.

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मेरी यादों में तुम हो,या मेरी याद ही तुम हो,
मेरे ख्वाबो में तुम हो, या मेरा ख्वाब ही तुम हो,
ये मेरा दिल बार बार मुझसे पूछता है एक ही सबाल,
मेरी जान में तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो.

दीदार हुआ उनका इक मुद्दत बाद
उन्हें हम देख के बच्चों सा मुस्कुराने लगे.

ना जाने मुझे तुमसे इतनी मोहब्बत क्यों है,
नींद आती नहीं, दीवानों सी हालत क्यों है,
रोज़ मांगता हूं दुआओं में खुदा से तुझको,
ना जाने इस दिल को तेरी इतनी ज़रूरत क्यों है.

हम आशा करते है की आपको हमारी द्वारा पेश की गई दीदार शायरी बेहद पसंद आई होंगी। यदि आपका कोई कॉमेंट है तो हमारे कॉमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और आप ये शायरियां अपने दोस्तो साथियों में जरूर शेयर करे और उन्हें भी कुछ चुनिंदा दीदार शायरियों का आनंद उठाने का अवसर दे.

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